सिंधुताई सपकाल का जीवन परिचय | Sindhutai Sapkal Biography in Hindi …
महाराष्ट्र की मदर टेरेसा कही जाने वाली सिंधुताई सपकाल को वर्ष 2021 में इनके सामाजिक कार्यों के लिए पदमश्री से सम्मानित किया गया।
लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब इन्होने भीख में मिले अनाज से जलती चिता पर रोटियां सेंक कर खाई थी। अपने जीवन में अनेक समस्याओं के बाद भी इन्होने अनाथ बच्चों को सँभालने का कार्य किया।
इनके पास न पैसा था और न ही कोई घर परिवार लेकिन इन्होंने अपने विश्वास के दम पर हज़ारों अनाथ बच्चों को घर परिवार व एक माँ की छाँव प्रदान की।
इस आर्टिकल में हम सिंधुताई सपकाल के संघर्षमय जीवन के बारे में जानेंगे , की कैसे एक बेसहारा महिला दूसरों के जीवन का सहारा बन गई।
Table of Contents
सिंधुताई का जन्म और शिक्षा –
सिंधुताई सपकाल का जीवन परिचय | Sindhutai Sapkal Biography in Hindi …
सिंधुताई सपकाल का जन्म 14 नवम्बर 1948 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले के पिपरी मेघे गांव में हुआ। उनके पिता का नाम अभिमान जी था जो जानवर चराने का कार्य करते थे।
परिवार अत्यधिक गरीब था और लैंगिक भेदभाव के कारन बचपन से ही सिंधुताई को नफरत नसीब हुई। बचपन में सब इन्हे चिन्दी कहकर पुकारते थे। इनके पिता इन्हे पढ़ाने के पक्ष में थे और मवेशी चराने के बहाने इन्हे स्कूल भेज दिया करते थे। लेकिन इनकी माता इसके खिलाफ थी। गरीबी ,पारिवारिक जिम्मेदारियां ,और बाल विवाह के नीचे दब कर इनकी शिक्षा ने जल्द ही दम तोड़ दिया और ये केवल चौथी तक ही पढ़ पाई।
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सिंधुताई की शादी और बर्बादी –
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केवल 10 वर्ष की उम्र में इनका विवाह 30 वर्ष के श्री हरी सपकाल से करा दिया गया। बचपन तो जैसे तैसे बीता ही लेकिन पति भी ऐसा मिला जो उन्हें मारता पीटता और गलियां देता।
20 वर्ष की उम्र तक ये 3 बच्चों की माँ बन चुकी थीं।
एक बार की बात है गाँव के मुखिया द्वारा लोगो को मज़दूरी के पैसे न दिए जाने पर उन्होंने मुखिया की शिकायत जिला अधिकारी से कर दी। जिससे नाराज़ मुखिया ने सिंधुताई को उसके पति से घर से निकालने के लिए अवैध संबंधो का आरोप लगाकर दबाब बनाया। सिंधुताई के पति ने मुखिया की बातों में आकर सिंधुताई को पीटकर घर से बाहर निकाल दिया।
इस वक्त सिंधुताई 9 माह की गर्भवती थीं , उसी रात उन्होंने तबेले में गाय भैसों के बीच एक बेटी को जन्म दिया। बेटी को जन्म देने के बाद वे अपने माँ के घर गई ,पर उनकी माँ ने भी उन्हें अपने साथ रखने से मना कर दिया।
सिंधुताई के जीवन का संघर्ष –
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सभी जगहों से धक्के खाने के बाद वे सड़कों और रेलवे स्टेशनो में भीख मांगने लगी। उन्होंने कई बार आत्महत्या करने की भी कोशिश की लेकिन अपनी संतान की मुस्कान देख वे फिर खड़ी होकर लड़ती रहीं।
शुरूआती दिनों में वे शमशान में रहती थी। भीख मांगती खुद खाती और यदि कोई असहाय होता तो उसे भी खिलाती। जीवित रहने की अपनी संघर्ष यात्रा के दौरान सिंधुताई महाराष्ट्र के चिकलदरा आ गई। इस समय वंहा बाघ परियोजना के तहत 24 आदिवासी गाँवों को खाली कराया जा रहा था। उन्होंने उन असहाय आदिवासियों के लिए आवाज उठाने का फैसला किया। उनके लगातार प्रयासों से वनमंत्री ने ग्रामीणों के लिए पुनर्वास व्यवस्था का आदेश दे दिया।
इस समय तक वे यंहा की गरीबी ,अनाथ बच्चों ,और असहाय महिलाओं से घिर गई। सिंधुताई ने इन सभी बच्चों को गोद लेकर इनकी भूंख मिटाने अथक परिश्रम किया।
यह वक्त उनके और उनके बेटी के अस्तित्व के लिए किसी संघर्ष से कम नहीं था। सिंधुताई ने गोद लिए अनाथ बच्चों की भूख मिटाने के लिए अपनी बेटी को पुणे के एक ट्रस्ट में भेज दिया ताकि वे दिन रात एक कर इन बच्चों का भविष्य बना सके।
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सिंधुताई का माई कहलाने का सफर –
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कई वर्षों के कड़े परिश्रम के बाद इन्होने चिकलदरा में अपना पहला आश्रम बनाया। इन्होंने इस कार्य के लिए कई गावों और शहरों की यात्रा की और धन जुटाने का प्रयास किया। इस वक्त तक इन्होने करीब 1200 बच्चों को गोद ले लिया था जो इन्हे प्यार से माई कह कर पुकारते थे ,और तभी से ये माई के नाम से बुलाई जाने लगीं।
सिंधुताई एक आदर्श के रूप में –
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सिंधुताई ने महाराष्ट्र में अनाथ बच्चों के लिए 6 अनाथालय बनाए। जंहा बच्चों को भोजन शिक्षा और आश्रय प्रदान किया जाता है। इन संगठनों में असहाय और बेघर महिलाओं की सहायता भी की जाती है।
सिंधुताई ने अपने अनाथालयों को चलाने के लिए किसी के सामने हाथ फ़ैलाने की वजाह सार्वजनिक मंचो पर प्रेरक भाषण दिए ,और इन बेघर और अनाथ बच्चों के लिए सार्वजनिक समर्थन माँगा।
अपने एक भाषण में उन्होंने कहा की लोगों को प्रेरणा प्रदान करने के लिए उनके जीवन की संघर्षमय दास्तान की कहानी हर जगह प्रसारित की जाए ताकि लोग खुद व खुद असहायों की मदद के लिए आगे आए।
सिंधुताई के अवॉर्ड –
सिंधुताई सपकाल का जीवन परिचय | Sindhutai Sapkal Biography in Hindi …
सिंधुताई द्वारा किये गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए उन्हें करीब 750 से अधिक पुरुस्कारों और कई राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय मंच में सम्मानित किया गया है।
सिंधुताई द्वारा संचालित संगठन
- सनमती बाल निकेतन, भेलहेकर वस्ती, हडपसर,
- सिंधु ‘महिला अधार, बालसंगोपन शिक्षण संस्थान, पुणे
- गंगाधरबाबा छत्रालय, गुहा
- अभिमान बाल भवन, वर्धा
- माई का आश्रम चिखलदरा, अमरावती
- पुणेममता बाल सदन, कुंभारवलन, सासवद
सिंधुताई का निधन –
सिंधुताई सपकाल का जीवन परिचय | Sindhutai Sapkal Biography in Hindi …
सिंधुताई का 4 जनवरी 2022 को 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। समाज के लिए उनका न होना एक अपूर्णीय क्षति है।
सिंधुताई एक ऐसी महिला थीं जिनके पास कुछ न होने के स्थिति में भी उन्होंने सैकड़ों बच्चों को माँ का प्यार और घर परिवार प्रदान किया।
नमन है ऐसी माँ को जिसका जन्म इस भूमि पर हुआ। अगर आप भी इनके जीवन से प्रभावित हैं तो comments box में जरूर लिखियेगा।
सिंधुताई सपकाल का जन्म
सिंधुताई द्वारा संचालित संगठन
सनमती बाल निकेतन, भेलहेकर वस्ती, हडपसर,
पुणेममता बाल सदन, कुंभारवलन, सासवद
माई का आश्रम चिखलदरा, अमरावती
अभिमान बाल भवन, वर्धा
गंगाधरबाबा छत्रालय, गुहा
सिंधु ‘महिला अधार, बालसंगोपन शिक्षण संस्थान, पुणे
सिंधुताई के जीवन पर फिल्म
अनंत महादेवन की 2010 की मराठी फिल्म “मी सिंधुताई सपकाल” सिंधुताई सपकाल की सच्ची कहानी से प्रेरित एक बायोपिक है. इस फिल्म को 54 वें लंदन फिल्म फेस्टिवल में वर्ल्ड प्रीमियर के लिए चुना गया था.
इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद ,इस पेज में हम ऐसे ही तरह तरह के विषयों में अपने आर्टिकल लाते रहेंगे।
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