Lal Bahadur Shastri Biography in Hindi / लाल बहादुर शास्त्री की जीवनी
लाल बहादुर शास्त्री का भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में शारीरिक कद भले ही छोटा था ,लेकिन उनका रुतबा बहुत बड़ा था। लाल बहादुर शास्त्री उस वक्त की देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के सबसे अधिक प्रभावशाली नेताओं में से एक थे। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की अचानक से मृत्यु होने के बाद ,शास्त्री जी को उनकी पाक साफ छवि के कारण भारत का दूसरा प्रधानमंत्री बनाया गया।
वर्ष 1915 में महात्मा गांधी के भाषण ने लाल बहादुर शास्त्री के जीवन की पूरी दिशा ही बदल गई। और तब से शास्त्री जी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से शामिल हो गए।
लाल बहादुर शास्त्री सच्चे गांधीवादी थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन सादगी से बिताया और गरीबों की सेवा में अपना जीवन भेंट कर दिया।
प्रधानमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर होने के बाद भी शास्त्री जी और उनका पूरा जीवन बहुत ही सादगी पूर्ण रहा। 1966 में पाकिस्तान के साथ ताशकंद समझौते के बाद रहस्यमय ढंग से शास्त्री जी की मृत्यु हो गई ,जो आज भी कहीं ना कहीं संदेह का विषय है।
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इस आर्टिकल में हम भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जीवनी के बारे में पढ़ेंगे। तो बने रहिए इस आर्टिकल Lal Bahadur Shastri Biography in Hindi / लाल बहादुर शास्त्री की जीवनी के अंत तक।
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प्रारंभिक जीवन
Lal Bahadur Shastri Biography in Hindi / लाल बहादुर शास्त्री की जीवनी
लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्टूबर 1904 में हुआ। उनके पिता का नाम शारदा प्रसाद श्रीवास्तव और माता का नाम रामदुलारी था।
परिवार में सबसे छोटे होने के कारण लाल बहादुर को नन्हे कहकर बुलाया जाता था। इनके पिता प्राथमिक विद्यालय मैं शिक्षक थे इस वजह से उन्हें सब मुंशी जी कहकर बुलाते थे। बाद में उनके पिता ने राजस्व विभाग में क्लर्क की नौकरी कर ली थी।
जब शास्त्री जी केवल 18 माह के थे तभी दुर्भाग्यपूर्ण इनके पिता का निधन हो गया और इसके बाद उनकी माता मिर्जापुर में अपने पिता हजारीलाल के घर चली गई ( Lal Bahadur Shastri Biography in Hindi / लाल बहादुर शास्त्री की जीवनी )
शिक्षा
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लाल बहादुर शास्त्री के पिता की मृत्यु के बाद वे अपने मां के साथ अपने ननिहाल आ गए और यहीं पर इनकी प्राथमिक शिक्षा हुई। प्राथमिक शिक्षा के बाद इन्होंने अपनी आगे की शिक्षा मुगलसराय और वाराणसी में पूरी की।
1926 में काशी विद्यापीठ से इनकी स्नातक की शिक्षक पूरी हुई , काशी विद्यापीठ में शास्त्री की उपाधि के बाद ! इन्होंने जन्म से अपने नाम के साथ जुड़ा जाति सूचक शब्द श्रीवास्तव को हमेशा के लिए अपने नाम से हटा दिया और अपने नाम के साथ शास्त्री लगाने लगे। तभी से शास्त्री शब्द लाल बहादुर के जीवन का पर्याय बन गया।
विवाह
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लाल बहादुर शास्त्री का विवाह 24 वर्ष की उम्र में 1928 में मिर्जापुर के रहने वाले गणेश प्रसाद की पुत्री ललिता से हुआ। शास्त्री जी शुरू से ही दहेज प्रथा के खिलाफ थे अतः उन्होंने अपनी शादी में दहेज लेने से साफ-साफ इंकार कर दिया।
लेकिन गणेश प्रसाद के बार-बार आग्रह करने पर वे केवल 5 गज खादी कपड़े को दहेज के रूप में लेने के लिए तैयार हुए। बाद में शास्त्री जी की 6 संताने हुईं जिसमें दो पुत्री
- कुसुम देवी
- सुमन देवी
और 4 पुत्र
- हरीकृष्ण
- अशोक
- सुनील
- अनिल
हुए।
राजनीतिक जीवन
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अपनी स्नातक स्तर की शिक्षा को संस्कृत भाषा में करने के बाद शास्त्री जी भारत सेवक संघ से जुड़ गए और देश सेवा का प्रण कर लिया।
यहीं से लाल बहादुर शास्त्री के राजनीतिक जीवन की शुरुआत हो गई। लाल बहादुर शास्त्री सच्चे गांधीवादी थे 1915 में महात्मा गांधी के एक भाषण ने इनके जीवन को बहुत अधिक प्रभावित किया और तभी से लाल बहादुर शास्त्री भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने लगे।
इन आंदोलनों और कार्यक्रमों में उनकी सक्रिय भागीदारी के परिणाम स्वरूप उन्हें कई बार जेलों में भी रहना पड़ा। वैसे तो देश के कई आंदोलनों में उन्होंने हिस्सा लिया लेकिन 1921 के असहयोग आंदोलन 1930 के डांडी मार्च आंदोलन और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में इनकी भूमिका उल्लेखनीय रही।
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जब इंग्लैंड बुरी तरह युद्ध में उलझा हुआ था ,उस वक्त सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज और दिल्ली चलो का नारा दिया। उसी वक्त 8 अगस्त 1942 की रात में गांधी जी ने मुंबई से अंग्रेजों को भारत छोड़ो और देश के नागरिकों को करो या मरो का नारा दिया।
इसके बाद 9 अगस्त 1942 के दिन लाल बहादुर शास्त्री इलाहाबाद पहुंचकर गांधी जी के द्वारा दिए हुए नारे करो या मरो को बहुत ही चतुराई पूर्वक मरो नहीं ! मारो में बदल दिया। और 1942 के इस भारत छोड़ो आंदोलन को पूरे देश में फैला दिया। इस दौरान लाल बहादुर शास्त्री पूरे 11 दिन तक भूमिगत रहते हुए इस आंदोलन को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका में रहे। और 19 अगस्त 1942 को शास्त्री जी अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार कर लिए गए।
लाल बहादुर शास्त्री के राजनीतिक मार्गदर्शकों में जवाहरलाल नेहरू ,पंडित गोविंद बल्लभ पंत और पुरुषोत्तम दास टंडन जैसे राजनीतिज्ञ शामिल थे।
1929 में इलाहाबाद से आने के बाद शास्त्री जी पुरुषोत्तम दास टंडन के साथ मिलकर इलाहाबाद में भारत सेवक संघ की इकाई सचिव के रूप में कई दिनों तक काम किया। इलाहाबाद में रहते हुए हैं शास्त्री जी और जवाहरलाल नेहरू की निकटता बढ़ती गई और धीरे-धीरे शास्त्री जी का राजनीतिक कद भी बढ़ता चला गया।
धीरे धीरे राजनीति में सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हुए लाल बहादुर शास्त्री जवाहरलाल नेहरु के मंत्रिमंडल में गृह मंत्री जैसे प्रमुख पद पर आसीन हुए ! और प्रधानमंत्री नेहरू के निधन के पश्चात भारत की दूसरे प्रधानमंत्री बनने का सौभाग्य हासिल किया।
1964 में जब लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री बने तो प्रधानमंत्री के रूप में उनका शासन काल काफी कठिन रहा। उस वक्त पूंजीपति देश भारत में हावी होना चाहते थे और दुश्मन देश हमारे देश में आक्रमण करने की फिराक में बैठे थे। इन सबके अलावा देश में खाद्यान्न का भी एक बड़ा संकट सामने खड़ा था।
प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने प्रथम संवाददाता सम्मेलन में शास्त्री जी ने कहा ! कि प्रधानमंत्री के रूप में उनकी प्रथम प्राथमिकता खदान मूल्यों को बढ़ने से रोकना है और अपनी इस बात पर वह काफी हद तक सफल भी रहे।
पाकिस्तान युद्ध के समय
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जब 1965 में पाकिस्तान ने देश में हमला किया तो उस वक्त राष्ट्रपति ने आपात बैठक बुलाई इसमें देश के तीनों सेनाओं को बुलाया गया ! और मंत्रिमंडल के भी सदस्य इस बैठक में उपस्थित थे। हालांकि प्रधानमंत्री शास्त्री जी इस बैठक में कुछ विलंब से पहुंचे पर उनके आते ही सभी का विचार विमर्श प्रारंभ हुआ।
सेनाओं के प्रमुखों ने शास्त्री जी को पूरी स्थिति को समझाते हुए कहा ! कि सर आपका हुक्म क्या है तब शास्त्री जी ने एक वाक्य में तत्काल उत्तर दिया कि आप देश की रक्षा कीजिए और मुझे बताइए कि हमें क्या करना है।
1965 के युद्ध में शास्त्री जी ने 1962 में हुए चाइना वार के समय नेहरू जी के मुकाबले देश को ज्यादा अच्छा नेतृत्व प्रदान किया। और इसी युद्ध में उन्होंने जय जवान जय किसान का नारा दिया। जिसका अर्थ है देश के जवान और किसान की जय हो।
क्योंकि यही देश की रीढ़ कहलाते हैं युद्ध के दौरान उनके दिए ” जय जवान जय किसान ” के नारे से देश की जनता का मनोबल बढ़ा और पूरा देश एकजुट होकर पाकिस्तान के खिलाफ खड़ा हो गया।
1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को अच्छा सबक सिखाया। इस दौरान जब भारतीय सेना लाहौर के हवाई अड्डे पर भीतर तक पहुंच गई तब इस अप्रत्याशित हमले से घबराकर अमेरिका ने लाहौर से अपने नागरिकों को निकालने के लिए शास्त्री जी से कुछ समय के लिए युद्ध विराम की अपील की।
ताशकंद समझौता और शास्त्री जी
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अमेरिका द्वारा कुछ समय के लिए युद्ध विराम की अपील के पश्चात अमेरिका और रसिया देशों ने मिलकर लाल बहादुर शास्त्री पर जोर डाला और उन्हें इस युद्ध में समझौते के लिए रसिया बुलाया।
लाल बहादुर शास्त्री ने यह बुलावा स्वीकार भी कर लिया। इस दौरान शास्त्री जी के साथ हर जगह जाने वाली उनकी पत्नी ललिता शास्त्री को बहला-फुसलाकर शास्त्री जी के साथ रसिया की राजधानी ताशकंद ना जाने के लिए मना लिया गया।
हालांकि वे मान तो गई पर शास्त्री जी की मृत्यु के बाद इस बात का पछतावा उन्हें अपनी मृत्यु पर्यंत रहा।
यह समझौता भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ रसिया की राजधानी ताशकंद में होने वाला था। इस दौरान जब समझौता वार्ता हो रही थी ,तब शास्त्री जी सभी शर्तों को मंजूर करते हुए बस एक शर्त पर अड़े थे कि वे जीती गई जमीन को पाकिस्तान को नहीं लौटा पाएंगे।
लेकिन शास्त्री जी पर इतना अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया गया कि उन्हें इस समझौते में ना चाहते हुए भी हस्ताक्षर करना पड़ा। इस पर उन्होंने यह जरूर कहा की वे हस्ताक्षर जरूर कर रहे हैं पर यह जमीन वह नहीं बल्कि भारत की किसी दूसरे प्रधानमंत्री के द्वारा ही लौटाई जाएगी।
शास्त्री जी की रहस्यमई मृत्यु
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ताशकंद में हुए भारत और पाकिस्तान के इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में रहस्यमय तरीके से भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हो गई।
मृत्यु का कारण दिया गया कि यह एक हृदयाघात था पर आज तक यह रहस्य बना हुआ है। शास्त्री जी की मृत्यु के बाद उनके परिवार और बहुत से अन्य लोगों का मानना था कि यह मृत्यु हृदयाघात से नहीं बल्कि जहर देने से हुई है।
मृत्यु के बाद उनका पोस्टमार्टम भी नहीं किया गया और उनकी मृत्यु आज भी रहस्य ही बनी हुई है।
लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक कहानियां
वाक्या 1 – Lal Bahadur Shastri Biography in Hindi / लाल बहादुर शास्त्री की जीवनी
1960 के दशक में भारत में खाद्यान्य का बहुत संकट खड़ा हो चुका था। प्रधानमंत्री नेहरू के समय से अमेरिका भारत में गेहूं का निर्यात करता था ,और अमेरिका से आया गेहूं बहुत ही खराब क्वालिटी का होता था।
नेहरू जी के बाद जब लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने अमेरिका से आए इस गेहूं के बारे में आवाज उठाई। जिस पर अमेरिका ने भारत को धमकी दी कि वे भारत को गेहूं देना बंद कर देंगे। इसके उत्तर में शास्त्री जी ने सीधे शब्दों में अमेरिका से कहा कि , हां ! आप गेहूं का निर्यात बंद कर दीजिए।
उन्होंने कहा हम गेहूं खाकर मरे या भूखे इससे अमेरिका को क्या लेना देना। हम भूखे मरना ज्यादा पसंद करेंगे ! बजाय इसके कि आपके देश का सड़ा हुआ गेहूं खाकर मरे ,और उस गेहूं के पैसे भी पूरे दें। इसलिए आपका गेहूं हमें नहीं चाहिए।
इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री ने 1965 में दिल्ली के रामलीला मैदान में खड़े होकर देश के करोड़ों लोगों से निवेदन किया कि इस वक्त हमारा देश पाकिस्तान से युद्ध संकट झेल रहा है। देश की आर्थिक व्यवस्था बहुत खराब हो चुकी है बाहर से खाद्यान्य का आयात करना भी मुश्किल हो रहा है।
ऐसे में हमारे देश को पैसे की अधिक से अधिक जरूरत है ,तो देश के लोगों से यह निवेदन है कि वह अपने अनावश्यक खर्चे को बंद करें। जिससे पैसे की बचत हो और वह देश के काम में आए और हर व्यक्ति सप्ताह के 1 दिन सोमवार का व्रत करें।
और उस दिन का बचा हुआ खाना किसी जरूरतमंद को देकर उसकी पूर्ति करें। रामलीला मैदान से शास्त्री जी का दिया हुआ यह भाषण देश के लोगों के दिलों में घर कर गया और लाखों लोगों ने सप्ताह में सोमवार का व्रत रखना शुरू कर दिया। नतीजा यह हुआ इस छोटे से तरीके से ही देश में खाद्यान्य की समस्या में कुछ कमी जरूर हुई।
इस दौरान लाल बहादुर शास्त्री ने भी खुद सोमवार का व्रत भी रखा।
वाक्या 2 – Lal Bahadur Shastri Biography in Hindi / लाल बहादुर शास्त्री की जीवनी
शास्त्री जी ने हमेशा ही दूसरों को बोलने से पहले वह चीज अपने ऊपर भी लागू की थी।
एक समय उनके घर में कामवाली बाई आती थी जो कपड़े धोने और साफ सफाई का का कार्य करती थी। तो शास्त्री जी ने उसको काम से हटाते हुए बोला कि ! मैं अपने ऊपर इतना खर्च नहीं कर सकता।
क्योंकि देश की हालत इस वक्त सही नहीं है ,मैं खुद ही घर की सारी साफ सफाई करूंगा। क्योंकि उनकी पत्नी ललिता देवी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहा करता था। शास्त्री जी स्वयं अपने कपड़े भी धोते थे और उनके पास केवल 2 जोड़ी ही धोती कुर्ता था।
वाक्या 3 – Lal Bahadur Shastri Biography Hindi / लाल बहादुर शास्त्री की जीवनी
शास्त्री जी के बच्चों को पढ़ाने के लिए एक ट्यूशन मास्टर आया करता था ,जो उनके बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाता था। शास्त्री जी ने उसे भी काम से हटा दिया। जब उस मास्टर ने शास्त्री जी से कहा कि आपका बेटा अंग्रेजी में फेल हो जाएगा तब शास्त्री जी ने कहा कि देश के हजारों बच्चे अंग्रेजी में ही फेल होते हैं।
तो मेरा बच्चा भी हो जाएगा। जब अंग्रेज हिंदी में फेल हो सकते हैं तो हम उनकी भाषा अंग्रेजी में क्यों नहीं ! यह तो स्वभाविक है क्योंकि इंग्लिश हमारी भाषा नहीं है।
वाक्या 4 – Lal Bahadur Shastri Biography in Hindi / लाल बहादुर शास्त्री की जीवनी
एक बार शास्त्री जी की एक धोती फट गई तब उनकी पत्नी ने कहा कि आप नई धोती ले लीजिए .इस पर साथ शास्त्री जी का उत्तर था कि मैं अभी नई धोती लेने की कल्पना भी नहीं कर सकता !
इस वक्त मैं अपनी पगार भी नहीं ले रहा हूं और कम से कम खर्च पर घर चलाने की कोशिश कर रहा हूं इसलिए बेहतर यही होगा कि तुम इसको सुई धागा लेकर सिलाई कर दो।
आजादी की लड़ाई में मुख्य भूमिका निभाने वाले और भारत देश के सच्चे सपूत देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। इन्होने जय जवान जय किसान के नारे का उद्घोष कर पूरे देश को एकजुट कर दिया था अपने अभूतपूर्व कार्य के लिए ही इन्हें देश का सबसे बड़ा पुरस्कार भारत रत्न 1966 में प्रदान किया गया।
Lal Bahadur Shastri Biography in Hindi / लाल बहादुर शास्त्री की जीवनी
लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु कब और कहां हुई
11 जनवरी 1966 ताशकन्द, सोवियत संघ रूस
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म कहां हुआ
लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्टूबर 1904 में हुआ।
लाल बहादुर शास्त्री का बचपन का नाम
परिवार में सबसे छोटे होने के कारण लाल बहादुर को नन्हे कहकर बुलाया जाता था।
लाल बहादुर शास्त्री के पिता का नाम
उनके पिता का नाम शारदा प्रसाद श्रीवास्तव और माता का नाम रामदुलारी था।
लाल बहादुर शास्त्री के माता का नाम
उनके माता का नाम रामदुलारी था।
लाल बहादुर शास्त्री के पिता क्या करते थे?
इनके पिता प्राथमिक विद्यालय मैं शिक्षक थे इस वजह से उन्हें सब मुंशी जी कहकर बुलाते थे। बाद में उनके पिता ने राजस्व विभाग में क्लर्क की नौकरी कर ली थी।
भारत देश के द्वितीय प्रधानमंत्री कौन थे?
लाल बहादुर शास्त्री
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